हरियाणा

पर्यावरण रक्षा की ग्रीन बेल्ट पर भ्रष्टाचार से बनी है शराब की दुकानें,स्कूल,पार्किंग,पार्षद दफ्तर जिनपर NGT हुआं सख्त।

सत्य ख़बर,गुरुग्राम,सतीश भारद्वाज:

एनजीटी एक याचिका की सुनवाई करते हुए गत दिनों हरियाणा सरकार सहित राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा फरीदाबाद के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अवैध शराब विक्रेताओं ने एनसीआर में पर्यावरण की रक्षा के लिए बनाई गई ग्रीन बेल्टों पर मिलीभगत से दुकानें बनाकर अवैध वसूली की जा रही है।

एनजीटी ने यह निर्देश/ नोटिस फरीदाबाद निवासी नरेंद्र सिरोही की याचिका दिया है। जिसमें कहा गया है कि इन अतिक्रमणों को तुरंत हटाया जाना चाहिए और दुकान मालिकों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति मांगी जानी चाहिए।

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मिली जानकारी के अनुसार दायर याचिका में कहा गया है, “शहर की अधिकतर ग्रीन बेल्ट पर सरकार ने अनुमति प्राप्त किए बिना शराब/शराब की दुकानें और शराबखाने (अहाता/पीने के स्थान) बनाए हैं। अधिकारियों को कई शिकायतें करने के बावजूद, इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।” 4 दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि हरियाणा सरकार, फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी), फरीदाबाद नगर निगम, हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण, उद्योग और वाणिज्य विभाग और वन विभाग को एक पखवाड़े के भीतर नोटिस जारी किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, “प्रथम दृष्टया, आवेदन में किए गए कथन राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की अनुसूची 1 में निर्दिष्ट अधिनियमों के कार्यान्वयन से उत्पन्न पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उठाते हैं।” पीठ ने कहा, “आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों का नोटिस प्रतिवादियों को जारी किया जाए, जिसमें उन्हें सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना उत्तर/प्रतिक्रिया दाखिल करने की आवश्यकता हो।” यह आदेश शनिवार, 14 दिसंबर को अपलोड किया गया। पीठ अगली बार 27 मार्च, 2025 को याचिका पर सुनवाई करेगी। एनजीटी के आदेश के बारे में पूछे जाने पर एमसीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निगम को हरित पट्टी में अतिक्रमण के बारे में शिकायतें मिली हैं। अधिकारी ने कहा, “हम इलाकों का सर्वेक्षण करेंगे और जल्द ही अतिक्रमण हटा देंगे।” यह पहली बार नहीं है जब एनजीटी ने हरियाणा सरकार को ग्रीन बेल्ट से अवैध संरचनाओं को हटाने का निर्देश दिया है। इससे पहले भी एनसीआर क्षेत्र के फरीदाबाद ,गुड़गांव के अधिकारियों को भी इस प्रकार के नोटिस आ चुके हैं, वहीं वर्ष 2019 में फरीदाबाद के लिए भी इसी तरह का आदेश जारी किया था। ग्रीन बेल्ट हरियाली के क्षेत्र हैं जो शहरों के फेफड़ों के रूप में काम करते हैं। वहीं गर्मी के दिनों में शहर की गर्मी को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

एनसीआर क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कारण अधिकारी ग्रीन बेल्ट से नहीं हटवाते कब्जा

बता दें कि एनसीआर क्षेत्र के फरीदाबाद, गुड़गांव में बैठे उच्च राजनेताओं के चहेते भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार के चलते सभी नियम और कानून को ताक पर रखकर चाहता सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर बिल्डिंग बनवा रहे हैं वहीं ग्रीन बेल्ट में भी स्कूल, कॉलेज, शराब की दुकान,पार्षद दफ्तर, बिल्डिंग बनाने का सामान आदि डलवा कर मोटी रकम वसूल रहे हैं। गुरुग्राम फरीदाबाद में ऐसे सैकड़ो मामले अधिकारियों की नजर में है लेकिन फिर भी ऊंची पहुंच के कारण शिकायतकर्ता पर ही फर्जी मुकदमे बनवाकर चांदी कूट रहे हैं। बात गुरुग्राम की करें तो एचएसवीपी की ग्रीन बेल्ट सेक्टर 5 तथा पालम विहार सी वन में एक स्टाफ के कर्मचारियों के भाइयों ने स्कूल बनाया हुआ जिसकी अधिकतर ग्रीन बेल्ट पर स्कूल ने कब्जा जमाया हुआ है। वहीं पालम विहार के ही कृष्णा चौक पर एक भाजपा नेता ने मल्टी स्टोरी कंपलेक्स तथा शराब की दुकान खुलवा रखी है। इसी तरह सेक्टर 21, 22 में भी बीजेपी के निगम पार्षद रविंद्र ने सरकारी जमीन पर दो मंजिला दफ्तर बनवाया हुआ है, जबकि वर्ष 2012 में केवल एक कमरा व शौचालय बनाने का ही एस्टीमेट बना हुआ था। जोकि ग्रीन बेल्ट में अवैध बना हुआ है। इस अवैध दफ्तर पर दूसरी मंजिल ऐसो आराम के लिए बनाई गई है जहां पर हमेशा असामार्जिक तत्वों का बोलबाला रहता है। वहीं बताया गया है कि करीब 5 साल पहले तब यह बन रहा था एक सेक्टर वासी ने निगम अधिकारियों व पुलिस में भी शिकायत की थी, लेकिन मिली भगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। क्षेत्रवासियों में यह भी चर्चाएं हैं कि सेक्टर 22 के पार्षद दफ्तर पर काफी अनैतिक कार्य भी होते हैं। लेकिन स्थानीय पुलिस की मिली भगत से उन पर कोई हाथ नहीं डाल रहा है। बीते दिनों हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भी आचार संहिता का वहां पर जमकर उल्लंघन हो रहा था। जिसकी शिकायत करने पर भी निगम व एचएसवीपी अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं। क्षेत्र के जागरूक नागरिकों का कहना था ही जल्द इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएगे।

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क्या कहते हैं नोडल अधिकारी भाठ

जब शहर की अधिकतर सरकारी ग्रीन बेल्टों पर दबंगों के अवैध कब्जे हटाने के बारे में एचएसवीपी ,नगर निगम, डीसी कार्यालय के अधिकारियों से बात की गई तो उनका एक ही जवाब रहता है, कार्रवाई कर रहे हैं। वहीं 6 महीने बाद भी जानकारी मांगों तो भी यही जवाब मिलता है कि कार्रवाई कर रहे हैं। वहीं जिले में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार ने नियुक्त किए गए तेज तर्रार कहलाने वाले नोडल ऑफीसर आरएस भाठ से बात की गई तो उनका भी वही रटा रटाया जवाब था कि कार्रवाई जल्द ही की जाएगी। अब देखना यह होगा कि दबंगों के खिलाफ प्रशासन कुछ कार्रवाई करता है या उनके आगे नतमस्तक मस्तक हो जाता है। जैसे कि आम नागरिक चर्चाएं करता रहता है।

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